गणितशास्त्र में संख्याओं को कई आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है। इस लेख में हम संख्याओं के गुणांखंडों के आधार पर किए गए वर्गीकरण की चर्चा करेंगे और जानेंगे कि भाज्य संख्या किसे कहते हैं।
यदि किसी संख्या के केवल 2 गुणनखंड होते हैं (1 और वह स्वयं) तो वह अभाज्य संख्या कहलाती है। इनकी सूचि काफी छोटी होती है। अधिकांश संख्याओं के 2 से अधिक गुणनखंड होते हैं, जिन्हें भाज्य संख्या कहा जाता है।
आइये भाज्य संख्याओं को विस्तार से जानते हैं और साथ ही भाज्य और अभाज्य संख्याओं के बीच के अंतर को भी समझते हैं।
भाज्य संख्या का विस्तार पूर्वक अध्ययन
भाज्य संख्या किसे कहते हैं?
भाज्य संख्याओं को उन प्राकृतिक संख्याओं के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिनके दो से अधिक गुणनखंड होते हैं।
दूसरे शब्दों में, वह संख्या जो 1 और स्वयं संख्या के अलावा किसी अन्य संख्या से भी विभाजित हो जाती है, भाज्य संख्या कहलाती है। आइए भाज्य संख्या को विभिन्न उदाहरणों के साथ समझते हैं।
भाज्य संख्याओं के उदाहरण
4, 6, 8, 9 और 10 कुछ प्रथम भाज्य संख्याएँ हैं। आइए 4 और 6 को लेते हैं।
उपरोक्त उदाहरण में, 4 और 6 को भाज्य संख्याएँ कहा जाता है क्योंकि वे अन्य संख्याओं को मिलाकर बनाई जाती हैं।
इसे एक प्रमेय में प्रयोग किया जा चुका है जिसे अंकगणित का मौलिक प्रमेय कहा जाता है।
प्रथम 100 भाज्य संख्याएँ कौन सी हैं?
अधिकांश संख्याएँ भाज्य ही होती हैं जबकि अभाज्य संख्या कम ही होती हैं। प्रथम 100 भाज्य संख्याएँ कुल 73 हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- 4, 6, 8, 9, 10
- 12, 14, 15, 16, 18, 20
- 21, 22, 24, 25, 26, 27, 28, 30
- 32, 34, 35, 36, 38, 39, 40
- 42, 44, 45, 46, 48, 49, 50
- 51, 52, 54, 55, 56, 57, 58, 60
- 62, 63, 64, 65, 66, 68, 69, 70
- 72, 74, 75, 76, 77, 78, 80
- 81, 82, 84, 85, 86, 87, 88, 90
- 91, 92, 93, 94, 95, 96, 98, 99, 100
भाज्य संख्या की विभिन्न परिभाषाएँ
सरल शब्दों में आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि – सभी संख्याएँ जो अभाज्य संख्याएँ नहीं हैं, उन्हें भाज्य संख्या के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। इन संख्याओं को दो से अधिक संख्याओं से भी विभाजित किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, संख्या 16 एक भाज्य संख्या है क्योंकि इसे 1, 2, 4 और 8 से विभाजित किया जा सकता है।
भाज्य संख्याओं को उन पूर्णांकों के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है जिन्हें दो सबसे छोटे धनात्मक पूर्णांकों को गुणा करके उत्पन्न किया जा सकता है।
भाज्य संखाओं में 1 और स्वयं (संख्या) के अलावा कम से कम और एक भाजक भी होना चाहिए। इन संख्याओं के दो से अधिक मिश्रित गुणनखंड भी हो सकते हैं।
उदाहरण के लिए, कोई भी सम संख्या जो 2 से अधिक है, एक भाज्य संख्या है।
भाज्य संख्याओं के गुण एवं विशेषताएँ
- एक भाज्य संख्या वह धनात्मक पूर्णांक है जिसे दो छोटे धनात्मक पूर्णांकों को गुणा करके बनाया जा सकता है।
- सभी भाज्य संख्याएँ छोटी संख्याओं से समान रूप से विभाज्य होती हैं जो कि एक अभाज्य या भाज्य संख्या हो सकती हैं।
- प्रत्येक भाज्य संख्या दो या दो से अधिक अभाज्य संख्याओं से बनी होती है।
भाज्य संख्या के इन गुणों को अच्छे से समझने के लिए 72 के गुणों और गुणांकों को ध्यान से देखें:
- 72 = 2 × 2 × 2 × 3 × 3
- 72 = 23 × 32
इन दोनों प्रकार के गुणनखंडों में आप देख सकते हैं कि अभाज्य संख्या 2 तीन बार आया है और अभाज्य संख्या 3 दो बार प्रयुक्त हुई है।
दोनों ही धनात्मक पूर्णांक हैं और अभाज्य संख्या हैं, जिन्हें गुना करने पर हमें एक भाज्य संख्या प्राप्त होती है।
भाज्य संख्याओं को कैसे ज्ञात करें?
एक भाज्य संख्या ज्ञात करने के लिए, हमें दी गयी संख्या के गुणनखंड करने चाहिए। यदि किसी संख्या के दो से अधिक गुणनखंड हैं, तो वह एक भाज्य है।
भाज्य संख्या का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका विभाज्यता का परीक्षण करना है। विभाज्यता परीक्षण से हमें अभाज्य संख्या है और भाज्य संख्या के बीच का अंतर पता चलता है।
विभाज्यता का अर्थ – किसी एक संख्या को किसी अन्य संख्या से समान रूप से (बिना शेषफल के) विभाजित करना विभाज्यता है।
ऐसा करने के लिए, यह जांचें कि क्या दी गयी संख्या को इन सामान्य गुणांकों (2, 3, 5, 7, 11, और 13) से विभाजित किया जा सकता है या नहीं।
यदि दी गई संख्या सम है, तो 2 से जांचना प्रारंभ करें। यदि संख्या 0 या 5 के साथ समाप्त हो जाती है, तो इसे फिर से 5 से जांचें। यदि संख्या को इनमें से किसी भी संख्या से विभाजित नहीं किया जा सकता है, तो संख्या एक अभाज्य संख्या है।
उदाहरण के लिए
40 की संख्या, 2 से विभाज्य है। इसमें 1 और 40 के अलावा अन्य गुणनखंड भी हैं, इसलिए, हम कह सकते हैं कि 40 एक भाज्य संख्या है।
- 40 = 2 × 2 × 2 × 5
- 40 = 2 × 5 × 4
- 40 = 4 × 10
- 40 = 8 × 5
भाज्य संख्याओं के कितने प्रकार होते हैं?
गणित में भाज्य संख्याओं के दो मुख्य प्रकार होते हैं
- सम-भाज्य संख्या
- विषम-भाज्य संख्या
1) सम-भाज्य संख्या
वे सभी सम संख्याएँ जो अभाज्य नहीं हैं, सम-भाज्य संख्याएँ कहलाती हैं। उदाहरण के लिए, 2, 4, 6, 8, 10, 12 इत्यादि कुछ प्रथम सम संख्याएँ हैं।
- 4 = 2 × 2
- 6 = 2 × 3
- 8 = 2 × 2 × 2
- 10 = 2 × 5
- 12 = 2 × 2 × 3
इन संख्याओं को सूक्षत्तम सम संख्या 2 से पूर्णतः विभाजित किया जा सकता है। इनके गुणनखंड करने पर हमें इनके गुणांक सम संख्या के रूप में अवश्य मिलेंगे।
2) विषम- भाज्य संख्या
वे सभी विषम पूर्णांक जो अभाज्य नहीं हैं, विषम-भाज्य संख्याएँ कहलाती हैं। उदाहरण के लिए, 9, 15, 21, 25, 27 कुछ प्रथम विषम भाज्य संख्याएँ हैं।
- 9 = 3 × 3
- 15 = 3 × 5
- 21 = 3 × 7
- 25 = 5 × 5
- 27 = 3 × 3 × 3
विषम-भाज्य संख्याओं के गुणांक, भाजक या गुणनखंड सूक्षत्तम विषम संख्याओं के रूप में होते हैं। या अधिकांशतः 3, 5 और 7 से पूर्णतः विभाजित हो जाते हैं।
सूक्षत्तम (सबसे छोटी) भाज्य संख्या कौन सी है ?
एक भाज्य संख्या को उस संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें 1 और समान (स्वयं) संख्या के अलावा अन्य भाजक भी होते हैं।
इसे समझने के लिए भाज्य संख्या के परिभाषा के आधार पर 10 सबसे छोटे अंकों को देखते हैं – 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 और 10।
- 1 – यह एक भाज्य संख्या नहीं है क्योंकि इसका एकमात्र भाजक 1 है।
- 2 – एक भाज्य संख्या नहीं है क्योंकि इसमें केवल दो भाजक हैं, अर्थात 1 और स्वयं 2।
- 3 – यह भी एक भाज्य संख्या नहीं है क्योंकि इसमें केवल दो भाजक हैं, अर्थात् 1 और स्वयं संख्या 3।
- 4 – इसके भाजक या गुणांक 1, 2 और 4 हैं। संख्या 4 एक भाज्य संख्या के मानदंड को पूरा करती है। अतः 4 सूक्षत्तम (सबसे छोटी) भाज्य संख्या है।
भाज्य संख्या से जुड़े कुछ सामान्य प्रश्न
परीक्षाओं में विद्यार्थियों को अक्सर भाज्य संख्याओं और अभाज्य संख्याओं के बीच अंतर का उल्लेख करने के लिए कहा जाता है। इसलिए आपको अभाज्य और भाज्य संख्याओं की अवधारणा को ठीक से समझना चाहिए।
साथ ही, इस विषय पर एक और सामान्य प्रश्न यह पूछा जाता है कि क्या शून्य अभाज्य या भाज्य संख्याओं की श्रेणी में आता है। इस प्रश्न का उत्तर यह है कि शून्य इन श्रेणियों में से किसी भी एक के अंतर्गत नहीं आता है।