आज के इस article में हम आपको बताने जा रहे हैं Zero यानी कि शून्य का आविष्कार किसने किया के बारे में। यदि आप भी शून्य को लेकर जिज्ञासु है तो हमारा आज का यह article आपके लिए ही है। आज के इस Article में हम आपको Zero के बारे में संपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। हमारे आज के इस article को ध्यानपूर्वक पढ़ें। तो चलिए शुरू करते हैं।
जैसे ही हम शून्य की बात करते हैं तो कई तरह के सवाल हमारे मन में उत्पन्न होते हैं। शून्य एक बहुत ही रहस्यमई number है। इससे जुड़े कई सवाल सवालों पर अभी भी कई सारे mathematicians research कर रहे हैं। आज के article में हम जानेंगे कि 0 का आविष्कार किसने किया और शून्य का इतिहास क्या है। शून्य का आविष्कार गणित के सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़े अविष्कारों में से एक है। यदि 0 नहीं होता तो आज के समय पर गणित बिल्कुल अलग होती।
Zero क्या है
Zero गणित का एक number है जिसे गणित की भाषा में 0 लिखा जाता है। इसे हिंदी में शून्य के नाम से जाना जाता है। 0 बाकी गणित संख्याओं की तरह ही है लेकिन कई मायनों में उनसे अलग भी है। 0 काफी स्पेशल नंबर है। वैसे तो Zero का कोई मान नहीं होता लेकिन यदि Zero किसी भी संख्या के पीछे लग जाए तो वह संख्या 10 गुना बढ़ जाती है।
जैसे कि यदि एक के पीछे 0 लगा दिया जाए तो वह संख्या 10 हो जाती है। वहीं अगर 10 के पीछे Zero लगा दिया जाए तो वह 100 हो जाती है, जोकि 10 * 10 भी होती है। अगर 100 के पीछे Zero लगा दिया जाए तो वह संख्या हजार हो जाती है जो कि 100 * 10 होती है। इसी प्रकार से किसी भी संख्या के पीछे यदि हम Zero लगाकर चले जाएंगे तो वह संख्या 10 गुना बड़ी होती जाएगी।
वहीं दूसरी ओर यदि हम किसी संख्या के आगे 0 लगाएं तो उस संख्या पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। वह संख्या उतनी ही रहेगी। जैसे कि 99 के आगे यदि हम शून्य लगा दे तो वह हो जाएगा 099, जो कि 99 के बराबर ही होगा। हम सौ के आगे शून्य लगा दे तो वहां 0100 हो जाएगा। जिसका अर्थ है किसी भी संख्या के आगे शून्य लगा देने से वह संख्या न बढ़ती है ना घटित है बल्कि उतनी ही रहती है और उस पर कोई भी फर्क नहीं पड़ता।
अगर किसी भी संख्या में हम zero को जोड़ते हैं तो उस संख्या का मान उतना ही रहता है। उदाहरण के तौर पर – यदि हम 7 में शून्य का जोड़ करें तो संख्या प्राप्त होगी 7। इसी प्रकार से यदि हम 55 में भी शून्य का जोड़ करें तो संख्या प्राप्त होगी 55। इस तरह से हमें यह प्राप्त होता है कि किसी भी संख्या में 0 को जोड़ने से हमें दोबारा से वही संख्या प्राप्त होती है।
किसी भी वास्तविक संख्या से zero को यदि घटाया जाए तब भी हमें वही संख्या प्राप्त होगी। जैसे कि 15 में से यदि शून्य को घटाया जाए तो संख्या प्राप्त होगी 15। उसी प्रकार से यदि 49 में से 0 को घटाया जाए तो भी हमें 99 ही प्राप्त होगा। इस तरह से हमें यह प्राप्त होता है कि किसी भी संख्या में शून्य को घटाने से हमें दोबारा से वही संख्या प्राप्त होती हैं।
किसी भी वास्तविक संख्या से यदि शून्य का गुणा किया जाए तो इसका फल हमें zero ही मिलता है। जैसे कि 1×0=0
21 × 0 = 0
99 × 0 = 0
यदि Zero का किसी संख्या में भाग कर दिया जाए तो इसका उत्तर हमें अनंत ∞ (infinity) मिलता है जैसे कि –
99 ÷ 0 = ∞
10 ÷ 0 = ∞
अंग्रेजी में 0 को Zero के अलावा nought (uk) तथा naught (us) भी कहते हैं। शून्य गणित की सबसे छोटी संख्या होती है जिसकी ना तो negative side होती है और ना ही positive side होती है।
शून्य का आविष्कार किसने किया
0 के आविष्कार के पहले गणित संबंधी प्रश्नों को हल करने में काफी दिक्कत है आती थी। लेकिन 0 के आविष्कार के बाद कुछ प्रश्नों को हल करना आसान हो गया तो वहीं दूसरी तरफ गणित और भी कठिन हो गई। 0 गणित के क्षेत्र में एक क्रांति जैसा है। यह एक ऐसी संख्या है जो बाकी सभी संख्याओं से अलग है। आज के समय में हमारे पास शून्य की परिभाषा और theory मौजूद है इसके पीछे कई बड़े वैज्ञानिकों का हाथ है।
यह जानकर हमें काफी गर्व होगा कि गणित के क्षेत्र में इतनी बड़ी क्रांति वाले लाने वाले मनुष्य और कोई नहीं बल्कि भारतीय विद्वान ब्रह्मगुप्त है। उन्होंने ही शुरुआती दौर में 0 के सिद्धांतों प्रतिपादन किया था।
ब्रह्मगुप्त के पहले आर्यभट्ट ने भी शून्य का प्रयोग किया था। इस वजह से कई सारे लोग आर्यभट्ट को भी शून्य का 0 का आविष्कार कर्ता मानते हैं। लेकिन आर्यभट्ट ने शून्य के सिद्धांत नहीं दिए थे जिस कारण से आर्यभट्ट को 0 के मुख्य आविष्कारक का दर्जा नहीं दिया गया है।
शून्य के आविष्कार को लेकर काफी पहले से ही मतभेद रहे हैं। हमेशा इस बात में confusion रहा है कि शून्य का आविष्कार किसने किया और कैसे हुआ। कई लोग मानते हैं कि गणना बहुत पहले से की जा रही है और शून्य के बिना गणना करना असंभव है। ऐसा माना जाता है कि शुरुआती दौर में भी लोग शून्य का उपयोग करते थे। लेकिन पहले ना ही तो 0 हुआ करता था और ना ही उसके सिद्धांत स्थापित थे। पहले के लोग 0 को विभिन्न प्रकार से बिना किसी सिद्धांतों के इस्तेमाल में लाया करते थे।
आचार्य ब्रह्मगुप्त नहीं 0 को प्रतीक और सिद्धांत प्रदान किए।
Zero का आविष्कार कब हुआ
वैसे तो Zero का आविष्कार काफी पहले हो चुका था। लेकिन इसका कोई प्रतीक नहीं था और ना ही इसके कोई सिद्धांत थे। लेकिन 623 ईसवी में ब्रह्मगुप्त ने प्रतीक व सिद्धांतों के साथ शून्य का उपयोग किया तथा इसके सिद्धांतों को दुनिया भर में भी फैलाया।
निष्कर्ष
तो दोस्तों आज का हमारा यह Article यहीं पर समाप्त होता है आज के इस Article में हमने आपको शून्य के बारे में संपूर्ण जानकारी दी। उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा आज का यह Article काफी पसंद आया होगा और इसमें लिखी गई सभी बातें आपको अच्छी तरह से समझ में आ गई होंगी। एक बार फिर मुलाकात होगी आपसे एक न article के साथ तब तक के लिए,